For those, Who seek Rhythm in their Life

Saturday, December 27, 2014

अच्छी लगी

खिड़की से झांकती
वो बारिश की बौछार 
शहरी मकानो में 
दादी की खाट 
अच्छी लगी.…!!!!! 

महंगाई के दौर में 
माँ की दांत, बड़ी सस्ती थी 
मतलब के इस जहाँ में 
दोस्त की फटकार 
अच्छी लगी.…!!!!!

एक बेबस को दिए 
जोह कुछ कदमो का साथ 
दुआओ से भरे हाथ 

अच्छी लगी.…!!!!! 




भूखे  बच्चे को जब दी थी रोटी 
वो तृप्त सी मुस्कान अच्छी लगी 
एक मजनू को मेरे 
प्रेम की तकरार 
अच्छी लगी.…!!!!!

ईद और दिवाली, मणि थी एक दिन 
जश्न की वह रात, बड़ी अच्छी लगी 
धर्म क नाम पर बने आडंबरों में
कबीर और रहीम की जाती,
अच्छी लगी.…!!!!!


शगुफ़्ते बच्चो की बात पर 
बस हंस दिए करती थी 
पर आसमां को आगोश में भरने की 
अच्छी लगी.…!!!!! 

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